Aarti Ahoi Mata Ki

॥ आरती अहोई माता की ॥
॥ Aarti Ahoi Mata Ki ॥

ज़य अहोई माता ज़य अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत हरि विष्णु धाता॥ १ ॥

ब्राहमणी रुद्राणी कमला तू हे है जग दाता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥ २ ॥

माता रूप निरंजन सुख संपत्ती दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥ ३ ॥

तू हे है पाताल बसंती तू हे है सुख दाता।
कर्मा प्रभाव प्रकाशक जज्निदधि से त्राता॥ ४ ॥

जिस घर तारो वास वही में गुण आता।
कर ना सके सोई कर ले मन नहीं घबराता॥ ५ ॥

तुम बिन सुख ना होवय पुतरा ना कोई पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥ ६ ॥

सुभ गुण सुन्दर युक्ता शियर निदधि जाता।
रतन चतुर्दर्श तौकू कोई नहीं पाता॥ ७ ॥

श्री अहोई मा की आरती जो कोई गाता।
उर् उमंग अत्ती उपजय पाप उत्तर जाता॥ ८ ॥

॥ इति आरती अहोई माता सम्पूर्णम ॥

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