॥ धूमावती कवचम् ॥
॥ Dhumavati Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
॥ श्री पार्वत्युवाच॥
धूमावत्यर्चनं शम्भो श्रुतम् विस्तरतो मया।
कवचं श्रोतुमिच्छामि तस्या देव वदस्व मे ॥१॥
॥ श्री भैरव उवाच॥
शृणु देवि परङ्गुह्यन्न प्रकाश्यङ्कलौ युगे।
कवचं श्रीधूमावत्या: शत्रुनिग्रहकारकम् ॥२॥
ब्रह्माद्या देवि सततम् यद्वशादरिघातिन:।
योगिनोऽभवञ्छत्रुघ्ना यस्या ध्यानप्रभावत: ॥३॥
ॐ अस्य श्री धूमावती कवचस्य पिप्पलाद ऋषि:
निवृत छन्द:, श्री धूमावती देवता, धूं बीजं, स्वाहा
शक्तिः,धूमावती कीलकं, शत्रुहनने पाठे विनियोग:॥
ॐ धूं बीजं मे शिरः पातु धूं ललाटं सदाऽवतु।
धूमा नेत्रयुग्मं पातु वती कर्णौ सदाऽवतु ॥१॥
दीर्ग्घा तुउदरमध्ये तु नाभिं में मलिनाम्बरा।
शूर्पहस्ता पातु गुह्यं रूक्षा रक्षतु जानुनी ॥२॥
मुखं में पातु भीमाख्या स्वाहा रक्षतु नासिकाम्।
सर्वा विद्याऽवतु कण्ठम् विवर्णा बाहुयुग्मकम् ॥३॥
चञ्चला हृदयम्पातु दुष्टा पार्श्वं सदाऽवतु।
धूमहस्ता सदा पातु पादौ पातु भयावहा ॥४॥
प्रवृद्धरोमा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा।
क्षुत्पिपासार्द्दिता देवी भयदा कलहप्रिया ॥५॥
सर्वाङ्गम्पातु मे देवी सर्वशत्रुविनाशिनी।
इति ते कवचम्पुण्यङ्कथितम्भुवि दुर्लभम् ॥६॥
न प्रकाश्यन्न प्रकाश्यन्न प्रकाश्यङ्कलौ युगे।
पठनीयम्महादेवि त्रिसन्ध्यन्ध्यानतत्परैः ॥७॥
दुष्टाभिचारो देवेशि तद्गात्रन्नैव संस्पृशेत् ॥८॥
॥ इति श्री धूमावतीकवचं सम्पूरणम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
09 May 2025 05:42:32 |
सूर्यास्त |
09 May 2025 19:11:47 |
चंद्रोदय |
09 May 2025 16:25:48 |
चंद्रस्थ |
10 May 2025 04:03:30 |
योग |
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वज्र |
09 May 2025 01:56:42 से 10 May 2025 02:57:42 तक |
सिद्धि |
10 May 2025 02:57:43 से 11 May 2025 04:00:52 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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