॥ शिवजी जी की आरती ॥
॥ Shiv Ji Ki Aarti ॥
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ॥ टेक॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुडासन वृषवाहन साजे ॥ जय॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ जय॥
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे
सनकादिक गरुडादिक भूतादिक संगे ॥ जय॥
कर मध्ये सुकमण्डल चक्र त्रिशूल धर्ता
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ जय॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
प्रणवाक्षर ॐ मध्ये ये तीनों एका ॥ जय॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दो ब्रह्मचारी
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ जय॥
त्रिगुण स्वामी की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ जय॥
॥ इति आरती शिवजी सम्पूर्णम ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
मंगलवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
28 Oct 2025 06:47:27 |
सूर्यास्त |
28 Oct 2025 17:40:48 |
चंद्रोदय |
28 Oct 2025 12:40:40 |
चंद्रस्थ |
28 Oct 2025 22:42:06 |
योग |
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सुकर्मा |
27 Oct 2025 07:26:21 से 28 Oct 2025 07:50:28 तक |
धृति |
28 Oct 2025 07:50:29 से 29 Oct 2025 07:50:46 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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