All Astrology Solutions

All Astrology Solutions

All Astrology Solutions
Shri Argala Stotra

॥ श्री अर्गला स्तोत्र ॥
॥ Shri Argala Stotra ॥

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥

श्री चण्डिका ध्यानम्
या चण्डी मधुकैटभादिदैत्यदलनी या माहिषोन्मूलिनी
या धूम्रेक्षणचण्डमुण्डमथनी या रक्तबीजाशनी ।
शक्तिः शुम्भनिशुम्भदैत्यदलनी या सिद्धिदात्री
परा सा देवी नवकोटिमूर्तिसहिता मां पातु विश्वेश्वरी ॥

अथ अर्गला स्तोत्रम्
ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुरृषिः, अनुष्टुप् छन्दः,
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता,श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशतिपाठाङ्गत्वेन
जपे विनियोगः । ॐ नमश्वण्डिकायै

मार्कण्डेय उवाच
ॐ जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतापहारिणि ।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥ १॥
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥ २॥

मधुकैटभविध्वंसि विधातृवरदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ३॥
महिषासुरनिर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ४॥

धूम्रनेत्रवधे देवि धर्मकामार्थदायिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ५॥
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ६॥

निशुम्भशुम्भनिर्नाशि त्रिलोक्यशुभदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ७॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ८॥

अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ९॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चापर्णे दुरितापहे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १०॥

स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ११॥
चण्डिके सततं युद्धे जयन्ति पापनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १२॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १३॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि विपुलां श्रियम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १४॥

विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १५॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १६॥

विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तञ्च मां कुरु ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १७॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पनिषूदिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १८॥

प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १९॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंसुते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २०॥

कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २१॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २२॥

इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २३॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २४॥

भार्यां मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २५॥
तारिणि दुर्गसंसारसागरस्याचलोद्भवे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २६॥

इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः ।
सप्तशतीं समाराध्य वरमाप्नोति दुर्लभम् ॥ २७॥

॥ इति अर्गलास्तोत्रं समाप्तम् ॥

आज का पंचांग ( Sun 14 Dec 2025 )

स्थान

अमृतसर, पंजाब, भारत

तिथि

  • दशमी, 13 Dec 2025 16:38:31 से 14 Dec 2025 18:50:15 तक
  • एकादशी, 14 Dec 2025 18:50:16 से 15 Dec 2025 21:20:31 तक

वार

रविवार

नक्षत्र

  • हस्त, 13 Dec 2025 05:50:15 से 14 Dec 2025 08:18:27 तक
  • चित्रा, 14 Dec 2025 08:18:28 से 15 Dec 2025 11:08:43 तक

सूर्यौदय

14 Dec 2025 07:26:21

सूर्यास्त

14 Dec 2025 17:23:54

चंद्रोदय

14 Dec 2025 02:08:59

चंद्रस्थ

14 Dec 2025 13:40:31

योग

सौभाग्य

13 Dec 2025 11:16:12 से 14 Dec 2025 11:45:04 तक

शोभन

14 Dec 2025 11:45:05 से 15 Dec 2025 12:30:01 तक

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त

  • 14 Dec 2025 12:05:11 से 14 Dec 2025 12:45:01 तक

अमृत काल

  • 15 Dec 2025 03:58:28 से 15 Dec 2025 05:45:49 तक

ब्रह्म मुहूर्त

  • 14 Dec 2025 05:50:09 से 14 Dec 2025 06:38:10 तक

अशुभ काल

राहू

  • 14 Dec 2025 16:09:08 से 14 Dec 2025 17:23:49 तक

यम गण्ड

  • 14 Dec 2025 12:25:05 से 14 Dec 2025 13:39:46 तक

कुलिक

  • 14 Dec 2025 14:54:27 से 14 Dec 2025 16:09:08 तक

दुर्मुहूर्त

  • 14 Dec 2025 16:04:11 से 14 Dec 2025 16:44:01 तक

वर्ज्यम्

  • 14 Dec 2025 17:15:28 से 14 Dec 2025 19:02:28 तक