॥ श्री बृहस्पति कवचम् ॥
॥ Shri Brahaspati Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
अस्य श्रीबृहस्पतिकवचस्तोत्रमन्त्रस्य ईश्वर
ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, गुरुर्देवता, गं बीजं,
श्रीशक्तिः, क्लीं कीलकं, गुरुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुरपूजितम् ।
अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥ १॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मेऽभीष्टदायकः ॥ २॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कण्ठं मे देवतागुरुः ॥ ३॥
भुजावाङ्गिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥ ४॥
नाभिं देवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगद्वन्द्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥ ५॥
जानुजङ्घे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥ ६॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ७॥
॥ इति बृहस्पतिकवचं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
02 May 2025 05:48:28 |
सूर्यास्त |
02 May 2025 19:06:56 |
चंद्रोदय |
02 May 2025 09:28:39 |
चंद्रस्थ |
03 May 2025 00:30:40 |
योग |
|
धृति |
02 May 2025 05:38:28 से 03 May 2025 03:19:41 तक |
शूल |
03 May 2025 03:19:42 से 04 May 2025 01:40:41 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|