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Shri Chandika Hridya Stotra

॥ श्री चण्डिका हृदय स्तोत्र ॥
॥ Shri Chandika Hridya Stotra ॥

॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥

अस्य श्री चण्डिका हृदय स्तोत्र महामन्त्रस्य ।
मार्क्कण्डेय ऋषिः, अनुष्टुप्च्छन्दः, श्री चण्डिका देवता ।
ह्रां बीजं, ह्रीं शक्तिः, ह्रूं कीलकं, अस्य श्री चण्डिका प्रसाद
सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । ह्रां इत्यादि षडंग न्यासः ।

ध्यानं
सर्वमंगळ मांगल्ये शिवे सर्वार्त्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

ब्रह्मोवाच
अथातस्सं प्रवक्ष्यामि विस्तरेण यथातथं ।
चण्डिका हृदयं गुह्यं शृणुष्वैकाग्रमानसः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्ळीं, ह्रां, ह्रीं, ह्रूं जय जय चामुण्डे,
चण्डिके, त्रिदश, मणिमकुटकोटीर संघट्टित
चरणारविन्दे, गायत्री, सावित्री, सरस्वति,
महाहिकृताभरणे, भैरवरूप धारिणी, प्रकटित
दंष्ट्रोग्रवदने,घोरे, घोराननेज्वल ज्वलज्ज्वाला
सहस्रपरिवृते, महाट्टहास बधरीकृत दिगन्तरे,
सर्वायुध परिपूर्ण्णे, कपालहस्ते, गजाजिनोत्तरीये,
भूतवेताळबृन्दपरिवृते, प्रकन्पित धराधरे,
मधुकैटमहिषासुर, धूम्रलोचन चण्डमुण्डरक्तबीज
शुंभनिशुंभादि दैत्यनिष्कण्ढके, काळरात्रि, महामाये,
शिवे, नित्ये, इन्द्राग्नियमनिरृति वरुणवायु सोमेशान
प्रधान शक्ति भूते,ब्रह्माविष्णु शिवस्तुते, त्रिभुवनाधाराधारे,
वामे, ज्येष्ठे, रौद्र्यंबिके, ब्राह्मी, माहेश्वरि, कौमारि,
वैष्णवी शंखिनीवाराहीन्द्राणी चामुण्डा शिवदूति महाकाळि
महालक्ष्मी, महासरस्वतीतिस्थिते, नादमध्यस्थिते,
महोग्रविषोरगफणामणिघटित मकुटकटकादिरत्न
महाज्वालामय पादबाहुदण्डोत्तमांगे, महामहिषोपरि गन्धर्व
विद्याधराराधिते, नवरत्ननिधिकोशे तत्त्वस्वरूपे
वाक्पाणिपादपायूपस्थात्मिके,शब्दस्पर्शरूपरसगन्धादि
स्वरूपे, त्वक्चक्षुः श्रोत्रजिह्वाघ्राणमहाबुद्धिस्थिते,
ॐ ऐंकार ह्रीं कार क्ळीं कारहस्ते आं क्रों आग्नेयनयनपात्रे
प्रवेशय, द्रां शोषय शोषय, द्रीं सुकुमारय सुकुमारय,
श्रीं सर्वं प्रवेशय प्रवेशय, त्रैलोक्यवर वर्ण्णिनि
समस्त चित्तं वशीकरु वशीकरु मम शत्रून्,
शीघ्रं मारय मारय, जाग्रत् स्वप्न सुषुप्त्य वस्थासु अस्मान्
राजचोराग्निजल वात विषभूत-शत्रुमृत्यु-ज्वरादि
स्फोटकादि नानारोगेभ्योः नानाभिचारेभ्यो नानापवादेभ्यः
परकर्म मन्त्र तन्त्र यन्त्रौषध शल्यशून्य क्षुद्रेभ्यः सम्यङ्मां
रक्ष रक्ष, ॐ ऐं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रः, स्फ्रां स्फ्रीं स्फ्रैं स्फ्रौं स्फ्रः –
मम सर्व कार्याणिसाधय साधय हुं फट् स्वाहा –
राज द्वारे श्मशाने वा विवादे शत्रु सङ्कटे ।
भूताग्नि चोर मद्ध्यस्थे मयि कार्याणि साधय ॥ स्वाहा ।
चण्डिका हृदयं गुह्यं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्व काम प्रदं पुंसां भुक्ति मुक्तिं प्रियच्चति ॥

॥ इति श्री चण्डिकाहृदयस्तोत्रम् सम्पूर्णम ॥

आज का पंचांग ( Fri 02 May 2025 )

स्थान

अमृतसर, पंजाब, भारत

तिथि

  • पंचमी, 01 May 2025 11:24:08 से 02 May 2025 09:15:11 तक
  • षष्ठी, 02 May 2025 09:15:12 से 03 May 2025 07:52:23 तक

वार

शुक्रवार

नक्षत्र

  • आद्रा, 01 May 2025 14:20:52 से 02 May 2025 13:04:10 तक
  • पुनर्वसु, 02 May 2025 13:04:11 से 03 May 2025 12:34:10 तक

सूर्यौदय

02 May 2025 05:48:28

सूर्यास्त

02 May 2025 19:06:56

चंद्रोदय

02 May 2025 09:28:39

चंद्रस्थ

03 May 2025 00:30:40

योग

धृति

02 May 2025 05:38:28 से 03 May 2025 03:19:41 तक

शूल

03 May 2025 03:19:42 से 04 May 2025 01:40:41 तक

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त

  • 02 May 2025 12:00:59 से 02 May 2025 12:54:12 तक

ब्रह्म मुहूर्त

  • 02 May 2025 04:12:27 से 02 May 2025 05:00:25 तक

अशुभ काल

राहू

  • 02 May 2025 10:47:52 से 02 May 2025 12:27:40 तक

यम गण्ड

  • 02 May 2025 15:47:16 से 02 May 2025 17:27:04 तक

कुलिक

  • 02 May 2025 07:28:16 से 02 May 2025 09:08:04 तक

दुर्मुहूर्त

  • 02 May 2025 08:28:07 से 02 May 2025 09:21:20 तक
  • 02 May 2025 12:54:12 से 02 May 2025 13:47:25 तक

वर्ज्यम्

  • 03 May 2025 00:49:11 से 03 May 2025 02:23:11 तक