॥ श्री दुर्गा देवि कवचम् ॥
॥ Shri Durga Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
॥ ईश्वर उवाच ॥
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम् ।
पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ॥ १॥
अज्ञात्वा कवचं देवि दुर्गामन्त्रं च यो जपेत् ।
स नाप्नोति फलं तस्य परं च नरकं व्रजेत् ॥ २॥
उमादेवी शिरः पातु ललाटे शूलधारिणी ।
चक्षुषी खेचरी पातु कर्णौ चत्वरवासिनी ॥ ३॥
सुगन्धा नासिके पातु वदनं सर्वधारिणी ।
जिह्वां च चण्डिकादेवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा ॥ ४॥
अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ।
हृदयं ललितादेवी उदरं सिंहवाहिनी ॥ ५॥
कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ।
महाबला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी ॥ ६॥
एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्ये रक्षणात्मिका ।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥ ७॥
॥ इति श्री दुर्गा कवचम् सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
09 May 2025 05:42:32 |
सूर्यास्त |
09 May 2025 19:11:47 |
चंद्रोदय |
09 May 2025 16:25:48 |
चंद्रस्थ |
10 May 2025 04:03:30 |
योग |
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वज्र |
09 May 2025 01:56:42 से 10 May 2025 02:57:42 तक |
सिद्धि |
10 May 2025 02:57:43 से 11 May 2025 04:00:52 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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