॥ श्री गजानन स्तोत्र ॥
॥ Shri Gajanan Stotra ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
जय देव गजानन प्रभो जय सर्वासुरगर्वभेदक ।
जय सङ्कटपाशमोचन प्रणवाकार विनायकाऽव माम् ॥ १॥
तव देव जयन्ति मूर्तयः कलितागण्यसुपुण्यकीर्तयः ।
मनसा भजतां हतार्तयः कृतशीघ्राधिककामपूर्तयः ॥ २॥
तव रम्यकथास्वनादरः स नरो जन्मलयैकमन्दिरम् ।
न परत्र न चेह सौख्यभाङ् निजदुष्कर्मवशाद्विमोहभाक् ॥ ३॥
गजवक्त्र तवाङ्घ्रिपङ्कजे ध्वजवज्राङ्कयुते सदा भजे ।
तव मूर्तिमहं परिष्वजे त्वयि हृन्मेऽस्तु सुमूषकध्वजे ॥ ४॥
त्वदृते हि गजानन प्रभो न हि भक्तौघसुखौघदायकः ।
सुदृढा मम भक्तिरस्तु ते चरणाब्जे विबुधेश विश्वपाः ॥ ५॥
फलपूरगदेक्षुकार्मुकैर्युत रुक्चक्रधराब्जपाशधृक् ।
अव वारिजशालिमञ्जरीरदधृग्रत्नघटाढ्यशुण्ड माम् ॥ ६॥
करयुग्मसुहेमशृङ्खल द्विजराजाढ्यक तुन्दिलोदर ।
शशिसुप्रभ विद्यया युत स्तनभारानमितेड्य रक्ष माम् ॥ ७॥
शशिभास्करवीतिहोत्रदृक् शुभसिन्दूररुचे विनायक ।
द्विपवक्त्र महाहिभूषण त्रिदिवेशासुरवन्द्य पाहि माम् ॥ ८॥
सृणिपाशवरद्विजैर्युत द्विजराजार्धक मूषकध्वज ।
शुभलोहितचन्दनोक्षित श्रुतिवेद्याभयदायकाऽव माम् ॥ ९॥
स्मरणात्तव शम्भुविध्यजेन्द्विनशक्रादिसुराः कृतार्थताम् ।
गणपाऽऽपुरघौघभञ्जन द्विपराजास्य सदैव पाहि माम् ॥ १०॥
शरणं भगवान्विनायकः शरणं मे सततं च सिद्धिका ।
शरणं पुनरेव तावुभौ शरणं नान्यदुपैमि दैवतम् ॥ ११॥
गलद्दानगण्डं महाहस्तितुण्डं सुपर्वप्रचण्डं धृतार्धेन्दुखण्डम् ।
करास्फोटिताण्डं महाहस्तदण्डं हृताढ्यारिमुण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥ १२॥
गणनाथ निबन्धसंस्तवं कृपयाङ्गीकुरु मत्कृतं ह्यमुम् ।
इदमेव सदा प्रदीयतां करुणा मय्यतुलाऽस्तु सर्वदा ॥ १३॥
॥ इति श्री गजानन स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
02 May 2025 05:48:28 |
सूर्यास्त |
02 May 2025 19:06:56 |
चंद्रोदय |
02 May 2025 09:28:39 |
चंद्रस्थ |
03 May 2025 00:30:40 |
योग |
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धृति |
02 May 2025 05:38:28 से 03 May 2025 03:19:41 तक |
शूल |
03 May 2025 03:19:42 से 04 May 2025 01:40:41 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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