॥ श्री गुरु स्तोत्र ॥
॥ Shri Guru Stotra ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
अथ गुरुस्तोत्रम्
बृहस्पतिः सुराचार्यो दयावान् शुभलक्षणः ।
लोकत्रयगुरुः श्रीमान्सर्वज्ञः सर्वकोविदः ॥ १॥
सर्वेशः सर्वदाऽभीष्टः सर्वजित्सर्वपूजितः ।
अक्रोधनो मुनिश्रेष्ठो नीतिकर्ता गुरुः पिता ॥ २॥
विश्वात्मा विश्वकर्ता च विश्वयोनिरयोनिजः ।
भूर्भुवःसुवरों चैव भर्ता चैव महाबलः ॥ ३॥
पञ्चविंशतिनामानि पुण्यानि नियतात्मना ।
वसता नन्दभवने विष्णुना कीर्तितानि वै ॥ ४॥
यः पठेत् प्रातरुत्थाय प्रयतः सुसमाहितः ।
विपरीतोऽपि भगवान्प्रीतो भवति वै गुरुः ॥ ५॥
यश्छृणोति गुरुस्तोत्रं चिरं जीवेन्न संशयः ।
बृहस्पतिकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति ॥ ६॥
॥ इति श्री गुरु स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
मंगलवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
28 Oct 2025 06:47:27 |
सूर्यास्त |
28 Oct 2025 17:40:48 |
चंद्रोदय |
28 Oct 2025 12:40:40 |
चंद्रस्थ |
28 Oct 2025 22:42:06 |
योग |
|
सुकर्मा |
27 Oct 2025 07:26:21 से 28 Oct 2025 07:50:28 तक |
धृति |
28 Oct 2025 07:50:29 से 29 Oct 2025 07:50:46 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|