॥ श्री कामाक्षी स्तोत्र ॥
॥ Shri Kamakshi Stotra ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
कल्पानोकहपुष्पजालविलसन्नीलालकां मातृकां
कान्तां कञ्जदलेक्षणां कलिमलप्रध्वंसिनीं कालिकाम् ।
काञ्चीनूपुरहारदामसुभगां काञ्चीपुरीनायिकां
कामाक्षीं करिकुम्भसन्निभकुचां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ १॥
काशाभांशुकभासुरां प्रविलसत्कोशातकीसन्निभां
चन्द्रार्कानललोचनां सुरुचिरालङ्कारभूषोज्ज्वलाम् ।
ब्रह्मश्रीपतिवासवादिमुनिभिः संसेविताङ्घ्रिद्वयां
कामाक्षीं गजराजमन्दगमनां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ २॥
ऐं क्लीं सौरिति यां वदन्ति मुनयस्तत्त्वार्थरूपां परां
वाचां आदिमकारणं हृदि सदा ध्यायन्ति यां योगिनः ।
बालां फालविलोचनां नवजपावर्णां सुषुम्नाश्रितां
कामाक्षीं कलितावतंससुभगां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ३॥
यत्पादाम्बुजरेणुलेशं अनिशं लब्ध्वा विधत्ते विधिर्-
विश्वं तत् परिपाति विष्णुरखिलं यस्याः प्रसादाच्चिरम् ।
रुद्रः संहरति क्षणात् तद् अखिलं यन्मायया मोहितः
कामाक्षीं अतिचित्रचारुचरितां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ४॥
सूक्ष्मात् सूक्ष्मतरां सुलक्षिततनुं क्षान्ताक्षरैर्लक्षितां
वीक्षाशिक्षितराक्षसां त्रिभुवनक्षेमङ्करीं अक्षयाम् ।
साक्षाल्लक्षणलक्षिताक्षरमयीं दाक्षायणीं सक्षिणीं साक्षिणीं
कामाक्षीं शुभलक्षणैः सुललितां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ५॥
ओङ्काराङ्गणदीपिकां उपनिषत्प्रासादपारावतीम्
आम्नायाम्बुधिचन्द्रिकां अधतमःप्रध्वंसहंसप्रभाम् ।
काञ्चीपट्टणपञ्जराऽऽन्तरशुकीं कारुण्यकल्लोलिनीं
कामाक्षीं शिवकामराजमहिषीं वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ६॥
ह्रीङ्कारात्मकवर्णमात्रपठनाद् ऐन्द्रीं श्रियं तन्वतीं
चिन्मात्रां भुवनेश्वरीं अनुदिनं भिक्षाप्रदानक्षमाम् ।
विश्वाघौघनिवारिणीं विमलिनीं विश्वम्भरां मातृकां
कामाक्षीं परिपूर्णचन्द्रवदनां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ७॥
वाग्देवीति च यां वदन्ति मुनयः क्षीराब्धिकन्येति च
क्षोणीभृत्तनयेति च श्रुतिगिरो यां आमनन्ति स्फुटम् ।
एकानेकफलप्रदां बहुविधाऽऽकारास्तनूस्तन्वतीं
कामाक्षीं सकलार्तिभञ्जनपरां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ८॥
मायामादिम्कारणं त्रिजगतां आराधिताङ्घ्रिद्वयाम्
आनन्दामृतवारिराशिनिलयां विद्यां विपश्चिद्धियाम् ।
मायामानुषरूपिणीं मणिलसन्मध्यां महामातृकां
कामाक्षीं करिराजमन्दगमनां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ ९॥
कान्ता कामदुघा करीन्द्रगमना कामारिवामाङ्कगा
कामदुहा कल्याणी कलितावतारसुभगा कस्तूरिकाचर्चिता
कम्पातीररसालमूलनिलया कारुण्यकल्लोलिनी
कल्याणानि करोतु मे भगवती काञ्चीपुरीदेवता ॥ १०॥
॥ इति श्री कामाक्षी स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
02 May 2025 05:48:28 |
सूर्यास्त |
02 May 2025 19:06:56 |
चंद्रोदय |
02 May 2025 09:28:39 |
चंद्रस्थ |
03 May 2025 00:30:40 |
योग |
|
धृति |
02 May 2025 05:38:28 से 03 May 2025 03:19:41 तक |
शूल |
03 May 2025 03:19:42 से 04 May 2025 01:40:41 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|