॥ श्री कृष्ण स्तोत्र ॥
॥ Shri Krishna Stotra ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
महादेव उवाच ।
जयस्वरुपं जयदं जयेशं जयकारणम् ।
प्रवरं जयदानां च वन्दे तमपराजितम् ॥ १॥
विश्वं विश्वेश्वरेशं च विश्वेशं विश्वकारणम् ।
विश्वाधारं च विश्वस्थं विश्वकारणकारणम् ॥ २॥
विश्वरक्षाकारणं च विश्वघ्नं विश्वजं परम् ।
फलबीजं फलाधारं फलं च तत्फलप्रदम् ॥ ३॥
तेजःस्वरुपं तेजोदं सर्वतेजस्विनां वरम् ।
इत्येवमुक्त्वा तं नत्वा रत्नसिंहासने वरे ।
नारायणं च संभाष्य उवास स तदाज्ञया ॥ ४॥
इति शंभुकृतं स्तोत्रं यो जनः संयतः पठेत् ।
सर्वसिद्धिर्भवेत्तस्य विजयं च पदे पदे ॥ ५॥
संततं वर्धते मित्रं धनमैश्वर्यमेव च ।
शत्रुसैन्यं क्षयं याति दुःखानि दुरितानि च ॥ ६॥
॥ इति श्री कृष्ण स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
मंगलवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
28 Oct 2025 06:47:27 |
सूर्यास्त |
28 Oct 2025 17:40:48 |
चंद्रोदय |
28 Oct 2025 12:40:40 |
चंद्रस्थ |
28 Oct 2025 22:42:06 |
योग |
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सुकर्मा |
27 Oct 2025 07:26:21 से 28 Oct 2025 07:50:28 तक |
धृति |
28 Oct 2025 07:50:29 से 29 Oct 2025 07:50:46 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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अमृत काल |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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