॥ श्री मङ्गल कवचम् ॥
॥ Shri Mangal Kavach ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
अस्य श्रीअङ्गारककवचस्तोत्रमन्त्रस्य कश्यप ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, अङ्गारको देवता, भौमप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।
धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः ॥ १॥
अङ्गारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।
श्रवौ रक्ताम्बरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥ २॥
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।
भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥ ३॥
वक्षः पातु वराङ्गश्च हृदयं पातु रोहितः ।
कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥ ४॥
जानुजङ्घे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।
सर्वाण्यन्यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥ ५॥
य इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रुनिवारणम् ।
भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्वसिद्धिदम् ॥ ६॥
सर्वरोगहरं चैव सर्वसम्पत्प्रदं शुभम् ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं नॄणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ।
रोगबन्धविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥ ७॥
॥ इति श्री मङ्गल कवचं सम्पूर्णम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
|
वार |
मंगलवार |
नक्षत्र |
|
सूर्यौदय |
28 Oct 2025 06:47:27 |
सूर्यास्त |
28 Oct 2025 17:40:48 |
चंद्रोदय |
28 Oct 2025 12:40:40 |
चंद्रस्थ |
28 Oct 2025 22:42:06 |
योग |
|
सुकर्मा |
27 Oct 2025 07:26:21 से 28 Oct 2025 07:50:28 तक |
धृति |
28 Oct 2025 07:50:29 से 29 Oct 2025 07:50:46 तक |
शुभ काल |
|
अभिजीत मुहूर्त |
|
अमृत काल |
|
ब्रह्म मुहूर्त |
|
अशुभ काल |
|
राहू |
|
यम गण्ड |
|
कुलिक |
|
दुर्मुहूर्त |
|
वर्ज्यम् |
|