॥ श्री शुक्र स्तोत्र ॥
॥ Shri Shukra Stotra ॥
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
शृण्वन्तु मुनयः सर्वे शुक्रस्तोत्रमिदं शुभम् ।
रहस्यं सर्वभूतानां शुक्रप्रीतिकरं शुभम् ॥ १॥
येषां सङ्कीर्तनान्नित्यं सर्वान् कामानवाप्नुयात् ।
तानि शुक्रस्य नामानि कथयामि शुभानि च ॥ २॥
शुक्रः शुभग्रहः श्रीमान् वर्षकृद्वर्षविघ्नकृत् ।
तेजोनिधिर्ज्ञानदाता योगी योगविदां वरः ॥ ३॥
दैत्यसञ्जीवनो धीरो दैत्यनेतोशना कविः ।
नीतिकर्ता ग्रहाधीशो विश्वात्मा लोकपूजितः ॥ ४॥
शुक्लमाल्याम्बरधरः श्रीचन्दनसमप्रभः ।
अक्षमालाधरः काव्यः तपोमूर्तिर्धनप्रदः ॥ ५॥
चतुर्विंशतिनामानि अष्टोत्तरशतं यथा ।
देवस्याग्रे विशेषेण पूजां कृत्वा विधानतः ॥ ६॥
य इदं पठति स्तोत्रं भार्गवस्य महात्मनः ।
विषमस्थोऽपि भगवान् तुष्टः स्यान्नात्र संशयः ॥ ७॥
स्तोत्रं भृगोरिदमनन्तगुणप्रदं यो
भक्त्या पठेच्च मनुजो नियतः शुचिः सन् ।
प्राप्नोति नित्यमतुलां श्रियमीप्सितार्थान्
राज्यं समस्तधनधान्ययुतां समृद्धिम् ॥ ८॥
॥ इति श्री शुक्र स्तोत्रं समाप्तम् ॥
स्थान |
अमृतसर, पंजाब, भारत |
तिथि |
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वार |
शुक्रवार |
नक्षत्र |
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सूर्यौदय |
02 May 2025 05:48:28 |
सूर्यास्त |
02 May 2025 19:06:56 |
चंद्रोदय |
02 May 2025 09:28:39 |
चंद्रस्थ |
03 May 2025 00:30:40 |
योग |
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धृति |
02 May 2025 05:38:28 से 03 May 2025 03:19:41 तक |
शूल |
03 May 2025 03:19:42 से 04 May 2025 01:40:41 तक |
शुभ काल |
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अभिजीत मुहूर्त |
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ब्रह्म मुहूर्त |
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अशुभ काल |
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राहू |
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यम गण्ड |
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कुलिक |
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दुर्मुहूर्त |
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वर्ज्यम् |
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